बवासीर बीमारी - के लिए रामबाण ईलाज और जानिए खास तरह के नुस्खे।

 

आपको बता दें कि बवासीर (PilesयाHemorrhoids) एक सामान्य और दर्दनाक समस्या है, जो गुदा (Anus) और मलाशय (Rectum) के आसपास रक्त वाहिकाओं के सूजन, फूली हुई नसों के कारण होती है। जब ये नसें सूज जाती हैं, तो ये गुदा के पास गांठ बन जाती हैं, जिससे मल त्याग में परेशानी होती है। बवासीर एक आम समस्या है, और यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है, हालांकि यह वयस्कों और बुजुर्गों में अधिक सामान्य होता है 

 बवासीर बीमारी - के लिए रामबाण ईलाज और जानिए   खास तरह के नुस्खे 


 बवासीर के प्रकार 

1. आंतरिक बवासीर (Internal Hemorrhoids)

स्थिति:  ये गुदा के अंदर स्थित होती हैं।

लक्षण: अधिकतर ये दर्दरहित होती हैं, लेकिन मल त्याग के दौरान खून आ सकता है।

विशेष: जब आंतरिक बवासीर बाहर की ओर निकल जाती है, तो उसे Prolapsed Hemorrhoid कहते हैं।

खतरे का संकेत: अगर खून का प्रवाह अधिक हो, तो गंभीर स्थिति बन सकती है।

2. बाहरी बवासीर (External Hemorrhoids)

स्थिति: ये गुदा के बाहर स्थित होती हैं।

लक्षण: इनमें अधिक दर्द, सूजन, जलन, और खुजली होती है।

खून: कभी-कभी खून का थक्का जम सकता है (Thrombosed Hemorrhoid), जिससे दर्द और सूजन बढ़ जाती है।

खतरे का संकेत: जब खून का थक्का बनता है तो तेज़ दर्द हो सकता है।

3. थ्रॉम्बोस्ड बवासीर (Thrombosed Hemorrhoids)

स्थिति: यह बाहरी बवासीर के थक्के के कारण होती है।

लक्षण: तीव्र दर्द, सूजन, और गुदा के पास एक कठोर गांठ महसूस होती है।


 बवासीर के लक्षण 

1. मलत्याग के समय खून आना (Bleeding while passing stool)

यह बवासीर का सबसे आम लक्षण है।

खून आमतौर पर ताजा लाल रंग का होता है।

खून टॉयलेट में टपकता है या टॉयलेट पेपर पर दिखाई देता है।

आंतरिक बवासीर में खून आता है लेकिन दर्द नहीं होता।

2. गुदा के पास मस्से जैसा उभार (Lump near the anus)

यह उभार त्वचा के नीचे होता है।

यह बैठने, चलने या साफ करने के समय महसूस होता है।

यह उभार कभी अंदर चला जाता है और कभी बाहर आ जाता है (प्रोलैप्स)।

3. गुदा में दर्द या असहजता (Pain or discomfort in anus)

विशेष रूप से जब बवासीर बाहर आ जाए (बाहरी बवासीर)।

कभी-कभी दर्द बहुत तेज़ हो सकता है, खासकर अगर उसमें खून के थक्के जम जाएं।

4. गुदा में जलन और खुजली (Itching and burning sensation)

लगातार जलन और खुजली होती है।

मलत्याग के बाद यह और बढ़ जाती है।

यह लक्षण साफ-सफाई में कठिनाई की वजह से होता है।

5. गुदा में भारीपन या अधूरा मलत्याग का अहसास (Feeling of incomplete bowel movement)

ऐसा महसूस होता है कि पेट पूरी तरह साफ नहीं हुआ।

मल त्याग के बाद भी मलाशय में कुछ बचा हुआ लगता है।

6. शरीर में कमजोरी और चक्कर (Weakness due to bleeding)

अगर लंबे समय तक खून आता रहे, तो शरीर में खून की कमी (Anemia) हो सकती है।

इससे चक्कर आना, थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है।

7. सूजन (Swelling around anus)

गुदा के पास हल्की या तेज सूजन हो सकती है।

बैठने पर असहजता और दर्द बढ़ सकता है।


 बवासीर होने के कारण 

1. कब्ज 

मुख्य कारणों में से एक है।

जब व्यक्ति को बार-बार या लंबे समय तक कब्ज रहता है, तो मल त्याग के समय बहुत ज़ोर लगाना पड़ता है।

इससे गुदा की नसों पर दबाव बढ़ता है और वे सूज जाती हैं, जिससे बवासीर हो जाती है।

2. दस्त या बार-बार मल त्याग 

लगातार ढीला मल आने से भी गुदा क्षेत्र पर जलन और नसों में सूजन आ सकती है।

इससे आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार की बवासीर हो सकती है।

3. लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठना

विशेषकर शौचालय में लंबे समय तक बैठना या काम के दौरान लगातार बैठकर काम करना।

इससे मलद्वार के आसपास रक्त का संचार प्रभावित होता है और नसों पर दबाव बढ़ता है।

4. गर्भावस्था 

गर्भवती महिलाओं में गर्भाशय का आकार बढ़ने से निचले हिस्से की नसों पर दबाव पड़ता है।

इसके अलावा, हार्मोनल बदलाव भी बवासीर को जन्म दे सकते हैं।

5. अत्यधिक वजन 

अधिक वजन होने से पेट और गुदा क्षेत्र पर दबाव बढ़ता है।

इससे नसों में सूजन और बवासीर का खतरा बढ़ जाता है।

6. कम फाइबर वाला आहार

आहार में फाइबर की कमी (जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज न खाना) मल को सख्त बना देती है।

इससे मल त्याग कठिन होता है और ज़्यादा ज़ोर लगाना पड़ता है, जिससे बवासीर हो सकती है।

7. भारी वजन उठाना 

बार-बार भारी सामान उठाने से पेट और गुदा क्षेत्र की नसों पर तनाव आता है।

इससे भी बवासीर विकसित हो सकती है।

8. वृक्कीय या यकृत रोग 

खासकर Portal Hypertension की स्थिति में, नसों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है जो बवासीर का कारण बन सकता है।

9. आनुवंशिक कारण 

यदि परिवार में किसी को बवासीर की समस्या रही है, तो आपको होने की संभावना अधिक हो जाती है।


 बवासीर होने से बचने के घरेलू उपाय 

1. कब्ज से बचाव करें 

कब्ज बवासीर का सबसे बड़ा कारण है।

क्या करें:

रोजाना पर्याप्त फाइबर युक्त आहार लें।

खूब पानी पिएं (8-10 गिलास प्रतिदिन)।

खाली पेट गुनगुना पानी पिएं, चाहें तो उसमें नींबू और शहद मिला लें।

सुबह की शुरुआत त्रिफला चूर्ण, इसबगोल या भिगोई हुई किशमिश/अंजीर से करें।

2. फाइबर युक्त आहार अपनाएं 

मल को नरम बनाए रखने के लिए फाइबर बेहद जरूरी है।

क्या खाएं:

दलिया, ओट्स, चोकरयुक्त आटा

हरी पत्तेदार सब्जियाँ (पालक, मेथी)

फल (सेब, पपीता, अमरूद, अनार)

फलियां (चना, राजमा)

सूखे मेवे (भीगी हुई किशमिश, अंजीर)


3. नियमित मल त्याग की आदत डालें

मल को रोकना या देर करना बवासीर का जोखिम बढ़ाता है।

ध्यान रखें:

मल आने पर तुरंत जाएं।

जोर लगाकर मल न निकालें।

शौच करते समय अखबार या मोबाइल का प्रयोग ना करें, ताकि समय अधिक न लगे।


4. शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं 

निष्क्रिय जीवनशैली (Sedentary lifestyle) बवासीर का एक बड़ा कारण है।

क्या करें:

प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट वॉक या हल्का व्यायाम करें।

लंबी देर तक बैठने या खड़े रहने से बचें।

योगासन जैसे पवनमुक्तासन, मलासन और वज्रासन विशेष रूप से फायदेमंद हैं।


5. वजन को नियंत्रित रखें

अधिक वजन विशेषकर पेट के आसपास का मोटापा गुदा क्षेत्र पर दबाव बनाता है।

क्या करें:

संतुलित आहार लें और व्यायाम करें।

तले हुए, मैदे वाले, और ज्यादा चीनी वाले खाद्य पदार्थों से बचें।


6. शौचालय की साफ-सफाई और आदतें सुधारें

ध्यान रखें:

हमेशा साफ-सुथरे शौचालय का उपयोग करें।

टॉयलेट पेपर की बजाय पानी से सफाई करें, इससे गुदा क्षेत्र में जलन नहीं होती।


7. मानसिक तनाव से बचें

तनाव से पाचन खराब होता है, जिससे कब्ज की समस्या होती है।

क्या करें:

ध्यान (Meditation), प्राणायाम और योग करें।

नींद पूरी लें (7-8 घंटे)।


8. धूम्रपान और शराब से दूरी रखें

ये दोनों पाचन और रक्त संचार को बिगाड़ते हैं, जिससे बवासीर का खतरा बढ़ता है।


 बवासीर का चिकित्सा उपचार 

1. क्रीम और मलहम 

बवासीर को आराम देने के लिए बवासीर की क्रीम और मलहम का इस्तेमाल किया जा सकता है। ये सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं।

2. रबर बैंड लिगेशन 

इसमें बवासीर की नस के चारों ओर एक रबर बैंड बांध दिया जाता है, जिससे वह सूखकर गिर जाती है। यह एक सामान्य और कम दर्द वाली प्रक्रिया है।

3. स्लेरोथेरेपी 

इसमें बवासीर की नस में एक दवाई (Sclerosant) डाली जाती है, जो नस को सिकोड़ देती है। यह आमतौर पर आंतरिक बवासीर के लिए उपयोगी होता है।

4. लेजर उपचार

लेजर द्वारा बवासीर को सिकोड़ने या समाप्त करने की प्रक्रिया की जाती है। यह प्रक्रिया कम दर्दनाक और जल्दी ठीक होने वाली होती है।

5. सर्जरी 

गंभीर बवासीर के मामलों में, सर्जरी द्वारा बवासीर को पूरी तरह से हटा दिया जाता है। यह एक सामान्य लेकिन अधिक invasive प्रक्रिया है।


 बवासीर के लिए उपयोगी क्रीम और मलहम 

1. Preparation H Ointment (प्रिपरेशन एच)

सक्रिय तत्व: Phenylephrine, Glycerin

फायदे:

सूजन और जलन को कम करता है।

मल त्याग के दौरान दर्द में राहत।

स्किन को मॉइस्चराइज कर खुजली से राहत देता है।

कैसे लगाएं:

मल त्याग के बाद और रात में सोने से पहले प्रभावित स्थान पर लगाएं।


2. Anovate Cream (एनावेट क्रीम)

सक्रिय तत्व: Beclometasone, Lidocaine, and Phenylephrine

फायदे:

सूजन, खुजली और दर्द से राहत।

बवासीर के मस्सों को छोटा करने में मदद।

कैसे लगाएं:

दिन में 2-3 बार या डॉक्टर की सलाह से।


3. Proctosedyl Ointment (प्रोक्टोसिडिल मलहम)

सक्रिय तत्व: Hydrocortisone, Cinchocaine

फायदे:

तेज दर्द और जलन से राहत।

अंदरूनी और बाहरी दोनों प्रकार की बवासीर में प्रभावी।

कैसे लगाएं:

एप्लीकेटर के माध्यम से अंदर और बाहर दोनों जगह लगाया जा सकता है।


4. Pilex Ointment (पाइलेक्स मलहम) – हिमालया

प्राकृतिक तत्व: हरिद्रा, यष्टीमधु, नीम, करंज

फायदे:

आयुर्वेदिक और बिना साइड इफेक्ट के।

सूजन, जलन और दर्द में राहत।

कैसे लगाएं:

दिन में 2 बार साफ जगह पर हल्के हाथों से लगाएं।


5. Rectinol Ointment (रेक्टिनोल मलहम)

सक्रिय तत्व: Zinc oxide, Balsam Peru

फायदे:

एंटीसेप्टिक और दर्द निवारक गुण।

त्वचा को शांत करता है और हीलिंग तेज करता है।

कैसे लगाएं:

प्रभावित क्षेत्र को धोकर सूखा लें और फिर मलहम लगाएं।


 जरूरी सावधानियाँ: 

कोई भी मलहम लगाने से पहले हाथ और प्रभावित जगह को साफ रखें।

यदि लक्षण 7-10 दिन में कम नहीं होते हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए उपयोग से पहले चिकित्सकीय सलाह ज़रूरी है।

क्रीम को अधिक मात्रा में न लगाएं — निर्देशानुसार ही उपयोग करें।




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